उज्जैन ( मध्य प्रदेश ) : उज्जैन की तराना तहसील के ग्राम छड़ावद में रहने वाले 45 वर्षीय तुलसीराम पिता सिद्धूजी मजदूरी और बेलदारी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। परिवार में पत्नी, तीन लड़कियां और एक लड़का है। सभी बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
सीमित आमदनी में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ घर चलाना तुलसीराम के लिये काफी मुश्किल होता था। वे अपने परिवार के साथ गांव में कच्चे मकान में रहा करते थे। मकान पूरी तरह से मिट्टी का बना हुआ था। इस कारण बारिश में जब जगह-जगह से छत से पानी टपकता था तो कई बार मकान ढह जाता था।
तुलसीराम उस समय को याद करके आज भी घबरा जाते हैं। कई बार बारिश में उनके छोटे-छोटे बच्चे और परिवार लगातार भीगकर अपने बिखरे हुए सामान को समेटा करते थे। इधर बारिश होती रहती थी, उधर दोबारा मकान बनाने की जद्दोजहद में लगे तुलसीराम यह सोचा करते थे कि इस मुसीबत से उन्हें छुटकारा कैसे मिलेगा। तुलसीराम को गांव के सचिव से प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के बारे में जानकारी मिली।
उन्होंने योजना के तहत आवेदन दिया और कुछ माह के पश्चात हितग्राहियों की सूची में उनका नाम भी शामिल था। पक्का मकान बन जाने से अब तुलसीराम और उनके परिवार को काफी सुकून है। वे कहते हैं कि पहले जैसे ही बारिश का मौसम शुरू होता था, उनकी रातों की नींद उड़ जाया करती थी। हमेशा यही डर लगा रहता था कि कभी-भी मकान गिर सकता है। इससे जान-माल की हानि का तनाव भी हमेशा बना रहता था, लेकिन अब उन्हें किसी बात का डर नहीं है। इसके लिये वे शासन का धन्यवाद देते हैं।